डीसीआरयूएसटी की शोधार्थी डा. पांचाल को मिला 1.30 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट

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दीनबंधु छोटू राम विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय ,मुरथल की शोधार्थी डा. प्रियंका पांचाल को 1.30 करोड़ रुपए का प्रोजेक्ट मिला है। डा.पांचाल अपना शोध यूरोप के प्रख्यात विश्वविद्यालय एस्टोनिया यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ सांइसेज में शोध करेंगी। डा. पांचाल के शोध कार्य की समय अवधि दो वर्ष होगी।

कुलपति प्रो.श्री प्रकाश सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय के शोधों में निरंतर गुणवत्ता बढ रही है। यही कारण है कि विश्वविद्यालय के शोधार्थियों के शोध कार्यों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकार्यता एवं पहचान बढ रही है। उन्होंने कहा कि अनुसंधान किसी भी विश्वविद्यालय की रीढ़ की हड्डी होता है। विश्वविद्यालय में गुणवत्ता परक शोध को बढावा दिया जा रहा है। विश्वविद्यालय शोधार्थियों को अनुसंधान के क्षेत्र में अद्वितीय कार्य करने के लिए प्रोत्साहित करता है।

कुलपति प्रो. सिंह ने कहा कि पानी प्रकृति द्वारा जीवों को प्रदत्त अमूल्य उपहार है। पानी के बिना जीवन की कल्पना भी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि वेद में जल को औषधि के रूप में स्वीकार किया गया है। डा.पांचाल औषधि वाले पौधों से नैनो पार्टिकल के फोटोकैटालिस्ट बनाकर प्रदूषित जल को सूर्य की किरणों के माध्यम से साफ करने पर शोध करेगी, जोकि पर्यावरण के अनुकूल होगा। जिसमें किसी भी प्रकार के केमिकल का प्रयोग नहीं होगा।

डा. प्रियंका पांचाल ने असिस्टेंट प्रोफेसर डा.एस.पी.नेहरा के दिशा- निर्देशन में शोध कार्य किया है। डा.पांचाल के 18 शोध पत्र विश्व की प्रतिष्ठित शोध पत्र – पत्रिकाओं में प्रकाशित हो चुके हैं। विश्वविद्यालय की शोधार्थी डा.पांचाल ने अपना प्रोजैक्ट मैरी स्कोलोडोव्स्का क्यूरी एक्शन स्कीम में डा. नेहरा के निर्देशन में आवेदन किया था। मेरी क्यूरी फेलोशिप विश्व की सर्वश्रेष्ठ प्रतिष्ठित फैलोशिप है। इस फेलोशिप में योग्यता पूर्ण करने के बाद एस्टोनियन रिसर्च काउंसिल द्वारा डा. पांचाल के प्रोजेक्ट को 1.30 करोड़ रुपए की फंडिंग के लिए चुना गया। इस प्रोजेक्ट के अंतर्गत डा.पांचाल यूरोप के एस्टोनिया देश के एस्टोनिया यूनिवर्सिटी ऑफ लाइफ साइंसेज में मुख्य शोधकर्ता के रूप में अनुसंधान करेंगी।

डा.पांचाल अपने अनुसंधान के दौरान औषधी वाले पौधों से ग्रेफाइटिक कार्बन नाइट्राइड फोटोकेटालिस्ट बनाएंगी, जिसके माध्यम से जल को कीटाणु रहित , प्रदूषित जल को साफ करने तथा साथ साथ हाइड्रोजन बनाने पर अनुसंधान करेंगी। इस अनुसंधान में कोरोना वायरस के विरोध में एंटीवायरल एक्टिविटी को चैक करने पर भी शोध कार्य किया जाएगा।

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