मोहाली में कई जगहों पर रामलीला का मंचन, दर्शकों की उमड रही भारी भीड,

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मोहाली 18 अक्तूबर (गीता)। मोहाली शहर में हर बार ही तरह इस बार एक नहीं बल्कि कई जगहों पर रामलीला का मंचन किया जा रहा है और यहां रोजाना भारी तादाद में लोग रामलीला का आनंद लेने के लिए पहुंच रहे हैं, इसी श्रंखला में रामलीला कमेटी के पदाधिकारियों का हौंसला बढाने के लिए गणमान्य व्यक्ति भी रामलीला में पहुंच कर अपनी भूमिका निभा रहे हैं और रामलीलाओं का उदघाटन व अन्य कार्यक्रम में हिस्सा ले रहे है। आज सरस्वती कला मंच फेस 11 के द्वारा रामलीला में भगवान राम की विवाह की रस्म हुई और कन्यादान की रस्म श्रीमती आभा बंसल और सुनील बंसल के द्वारा अदा की गई। गांव बलौंगी में राम लीला में रीबन काट कर प्रभू श्री राम जी का आशीर्वाद लेते हुए और मॉ दुर्गा जी के नो रुप के बारे मे बताते हुए भाजपा नेता अनिल कुमार गुडडू । गुडडू ने कहा कि हम सभी को मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम जी के मार्ग पर चलने की जरूरत है और रामलीला कमेटी का धन्यवाद करते हुए समस्त परिवार अध्यक्ष अनिल कुमार गुड्डू भारतीय जनता पार्टी मंडल 1 मोहाली पंजाब के साथ रीटा सिंह अध्यक्ष महिल मोर्चा ने भी विशेष तौर पर शिरकत किया । इसी तरह मोहाली फेज-1 की श्री रामलीला एंव दशहरा कमेटी की की ओर से रामलीला के तीसरे दिन धनुष यज्ञ, परशुराम-लक्ष्मण संवाद और सीता स्वयंवर का मंचन किया गया। श्री रामलीला और दशहरा ग्राउंड में चल रहे इस भव्य रामलीला मंचन की तीसरी रात्रि में मिथिला नरेश जनक ने अपनी पुत्री सीता के विवाह के लिए स्वयंवर का आयोजन करते हैं। जिसमें उनकी शर्त होती हैं कि जो शिव धनुष को तोड़ेगा उसी के साथ जानकी का विवाह संपन्न होगा। जनक के आमंत्रण पर स्वयंवर में अनेक देशों के राजाओं के साथ गुरू विश्वामित्र भी शामिल होने आते हैं। जिनके साथ राम और लक्ष्मण भी आते हैं। घोषणा होते ही एक-एक करके सभी राजा धनुष को तोड़ने के लिए जोर लगाते हैं, मगर उसे उठाने की कौन कहे कोई हिला तक नहीं सका। वहीं ऋषि विश्वामित्र राम को इशारे से धनुष तोड़ने की आज्ञा देते हैं। श्रीराम द्वारा धनुष उठाते ही वह टूट गया। धनुष टूटते ही पूरे पंडाल में जय श्री राम के गगनभेदी नारे लगने लगते हैं। तभी भरी सभा वहां क्रोधित परशुराम पहुंच जाते हैं और धनुष के टूटने पर क्रोधित हो उठते हैं। इसके बाद लक्ष्मण और परशुराम के बीच तीखा संवाद होता है। इसके पश्चात धूमधाम से भगवान श्रीराम व सीता जी का विवाह संपन्न होता है। सीता स्वयंवर को देखने के लिए हजारों की तादाद लोग पहुंचे हुए थे।