Earthquake:कां*प उठा उतरकाशी !10 दिनों में 8भूकंप,स*हमे लोग
Earthquake के झटकों से उत्तरकाशी पिछले कुछ दिनों से लगातार कां*प रहा है। पिछले दस दिनों में 8 बार भूकंप आ चुके हैं। इनकी तीव्रता 2.0 से 3.5 तीव्रता के बीच रही है। भूकंप के कारण स्थानीय लोग काफी डरे हुए हैं। लोगों की पिछली भीषण आपदाओं की यादें फिर ताजा हो रही हैं।
Earthquake से बन रहे पुराने हालात
उत्तरकाशी में नब्बे के दशक में भी earthquake आया था, जिसमें दो महीने में 142 झटके दर्ज किए गए थे। यह भूकंप 6.8 तीव्रता का था, जिसने भारी तबाही मचाई थी। वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल छोटे झटकों का आना भूगर्भीय ऊर्जा के निकलने का संकेत हो सकता है, जिससे बड़ा भूकंप टल सकता है। हालांकि, सावधानी बरतना भी जरूरी है।
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कितनी बार हिल चुकी उत्तरकाशी
उत्तरकाशी में 24 जनवरी से लगातार भूकंप दर्ज किए जा रहे हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक: 24 जनवरी की सुबह तीन झटके आए, जिनमें से दो की तीव्रता 2.5 और 3.5 थी। 25 जनवरी को दो बार भूकंप महसूस किए गए। 26 से 31 जनवरी के बीच तीन और झटके आए। आखिरी भूकंप 2 फरवरी को दर्ज किया गया था, जिसकी तीव्रता हल्की थी। अफवाहों से बचें, सतर्क रहें।
विशेषज्ञों ने दी झूठी अफवाहें से दूर रहने की सलाह
भूकंप के बढ़ते मामलों के बीच उत्तरकाशी में कई झूठी अफवाहें भी फैलाई जा रही हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक सटीक जानकारी के लिए आधिकारिक स्रोतों पर ही भरोसा करें। आपदा प्रबंधन विभाग ने सतर्क रहने और अनावश्यक घबराहट से बचने की सलाह दी है। वैज्ञानिकों का मानना है कि फिलहाल छोटे झटकों का आना भूगर्भीय ऊर्जा के निकलने का संकेत हो सकता है, जिससे बड़ा भूकंप टल सकता है। हालांकि, सावधानी बरतना भी जरूरी है।
सुरक्षा के अपनाए ये उपाय
भूवैज्ञानिकों के मुताबिक उत्तरकाशी भूकंपीय जोन चार में आता है, जहां भूकंप आने की संभावना रहती है। भूकंप के छोटे-मोटे झटके भले ही राहत की बात हो, लेकिन किसी बड़ी आपदा की आशंका को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। भूकंप से बचने के लिए क्या करें? भूकंप के दौरान दिमाग को ठंडा रखें और सुरक्षित स्थान पर जाएं। भूकंप के दौरान दरवाजों और खिड़कियों से दूर रहें और किसी मजबूत मेज के नीचे छिप जाएं। इमरजेंसी किट तैयार रखें, जिसमें टॉर्च, पानी और प्राथमिक उपचार शामिल हो। सरकार और मौसम विभाग के अपडेट पर नजर रखें। उत्तरकाशी में लगातार आ रहे भूकंप के झटके चिंता का विषय बने हुए हैं। 1991 जैसी आपदा से बचने के लिए सावधानी और सतर्कता बेहद जरूरी है।