HARYANA CONGRESS: वरुण चौधरी ने संगठन ढांचे पर उठाए सवाल

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HARYANA CONGRESS में विवाद है कि खत्म होने का नाम ही नहीं ले रहा है। इस बार संगठनात्मक ढांचे को लेकर एक नया विवाद खड़ा हो गया है। अंबाला से लोकसभा सांसद वरुण चौधरी ने पार्टी महासचिव एवं हरियाणा प्रभारी दीपक बाबरिया को पत्र लिखकर जिला और ब्लॉक स्तर पर संगठन के पुनर्गठन की मांग की है।

विधायक दल (CLP) नेता का चयन

वरुण चौधरी ने कहा कि हरियाणा कांग्रेस को जमीनी स्तर पर मजबूत करने की जरूरत है। उन्होंने पत्र में इस बात पर जोर दिया कि कांग्रेस विधायकों की सहमति से कांग्रेस विधायक दल (CLP) नेता का चयन किया जाए।

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HARYANA CONGRESS में संगठन को लेकर असंतोष?

वरुण चौधरी ने हाल ही में जारी चार सूचियों पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि इनमें कई ऐसे नाम शामिल किए गए हैं जो न तो कांग्रेस के सदस्य हैं और न ही संगठन में सक्रिय भूमिका निभाते हैं। उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ ऐसे लोगों को पद दिए गए हैं, जिन्होंने 2024 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खिलाफ चुनाव लड़ा था।

आंतरिक कलह और नेतृत्व संकट से जूझ रही है हरियाणा कांग्रेस 

  • 2019 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को 31 सीटें मिली थीं, जबकि बीजेपी को 40 सीटें मिलीं
    2024 लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में कई गुट बन चुके हैं, जिससे पार्टी की स्थिति कमजोर हुई है।

क्या संगठनात्मक बदलाव से हरियाणा कांग्रेस को मिलेगा फायदा?

वरुण चौधरी का कहना है कि पार्टी कार्यकर्ताओं की लंबे समय से मांग रही है कि जिला और ब्लॉक स्तर पर मजबूत संगठन खड़ा किया जाए। अगर कांग्रेस सही ढंग से संगठनात्मक पुनर्गठन करती है और स्थानीय नेताओं को उचित स्थान देती है, तो  2029 के चुनावों में पार्टी को फायदा पहुंचा सकता है।

नेतृत्व पर भरोसा या असंतोष?

हरियाणा कांग्रेस में नेतृत्व संकट कोई नई बात नहीं है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा और कुमारी शैलजा गुटों के बीच गुटबाजी जगजाहिर रही है।  2022 में उदय भान को हरियाणा कांग्रेस अध्यक्ष बनाए जाने के बाद भी पार्टी में एकता नहीं दिखी। वरुण चौधरी के पत्र के बाद यह साफ हो गया है कि HARYANA CONGRESS में आंतरिक असंतोष बढ़ रहा है।

आगे क्या होगा?

दीपक बाबरिया और पार्टी हाईकमान इस मुद्दे पर क्या फैसला लेते हैं, यह देखने वाली बात होगी।
अगर कांग्रेस स्थानीय नेताओं और कार्यकर्ताओं को सही तरीके से जोड़ेगी, तो पार्टी को मजबूती मिलेगी।
अन्यथा, हरियाणा कांग्रेस में असंतोष और बढ़ सकता है, जिससे आने वाले चुनावों में नुकसान उठाना पड़ सकता है।

 

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