Haryana sikh चुनाव 2025: दादूवाल बनाम झींडा, कौन होगा अगला नेता?
चंडीगढ़: Haryana sikh गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (एचएसजीएमसी) के चुनाव 11 साल बाद हो रहे हैं, जो न केवल गुरुद्वारों के प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण हैं, बल्कि सिख समुदाय की आवाज को भी मजबूत करेंगे। कुल 164 उम्मीदवार मैदान में हैं और करीब 4 लाख सिख मतदाता 390 मतदान केंद्रों पर अपने अधिकार का प्रयोग करेंगे। 40 वार्ड, 49 सदस्य और चुनाव प्रक्रियाइस चुनाव में कुल 40 वार्ड बनाए गए हैं, जिनसे 40 सदस्य चुने जाएंगे। इसके अलावा 9 सदस्य मनोनीत किए जाएंगे, जिससे कुल सदस्यों की संख्या 49 हो जाएगी। हरियाणा के सिख समुदाय के लिए यह चुनाव बेहद अहम है, क्योंकि अब तक एडहॉक कमेटी ही गुरुद्वारों का प्रबंधन संभाल रही थी।
मुख्य दावेदार और चुनावी संघर्ष
इस चुनाव में चार प्रमुख सिख नेताओं के गुट आमने-सामने हैं:बलजीत सिंह दादूवाल- शिरोमणि अकाली दल (हरियाणा)- आजाद के बैनर तलेजगदीश सिंह झिंडा- पंथक दल झिंडा के नेतृत्व में।बलदेव सिंह कायमपुरी- हरियाणा सिख पंथक दल के साथ।दीदार सिंह नलवी- सिख समाज संस्था के बैनर तले।इन गुटों के बीच मुकाबला बेहद दिलचस्प है। इसके अलावा कई आजाद उम्मीदवार भी मैदान में हैं, जो चुनावी संघर्ष को और दिलचस्प बना रहे हैं।
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Haryana sikh समुदाय की स्थिति
हरियाणा में करीब 4 लाख सिख मतदाता हैं, जो राज्य की कुल आबादी का अहम हिस्सा हैं। राज्य में सिख समुदाय का प्रभाव सिर्फ गुरुद्वारों के प्रबंधन तक ही सीमित नहीं है, बल्कि वे सामाजिक और राजनीतिक गतिविधियों में भी सक्रिय भूमिका निभाते हैं।
11 साल बाद हो रहे है
हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव 11 साल बाद हो रहे हैं। 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने हरियाणा में अलग सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी बनाने के राज्य सरकार के फैसले को बरकरार रखा था। तब से एडहॉक कमेटी ही गुरुद्वारों का संचालन कर रही है। लेकिन अब यह जिम्मेदारी निर्वाचित कमेटी को सौंपी जाएगी।
चुनाव के लिए सख्त दिशा-निर्देश
पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट और राज्य चुनाव आयोग ने यह सुनिश्चित किया है कि इस चुनाव में किसी भी राजनीतिक दल को भाग लेने की इजाजत न दी जाए। चुनाव आयुक्त जस्टिस एचएस भल्ला ने भी स्पष्ट किया है कि चुनाव पूरी तरह निष्पक्ष और शांतिपूर्ण तरीके से संपन्न कराए जाएंगे।
गुरुद्वारों का महत्व और प्रबंधन की भूमिका
सिख धर्म में गुरुद्वारों को सिर्फ धार्मिक स्थल के तौर पर ही नहीं देखा जाता, बल्कि वे सामुदायिक सेवाओं के केंद्र भी हैं। लंगर सेवा, शिक्षा और सामाजिक उत्थान जैसे कार्यों में गुरुद्वारे अहम भूमिका निभाते हैं। इन कार्यों को कुशलतापूर्वक चलाने में एचएसजीएमसी का प्रबंधन महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
सिख संगत की भूमिका और भविष्य की उम्मीदें
यह चुनाव सिख समुदाय को अपनी आवाज उठाने और गुरुद्वारों के प्रबंधन में पारदर्शिता लाने का अवसर प्रदान करता है।गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के चुनाव से न केवल गुरुद्वारों की कार्यप्रणाली में सुधार आएगा, बल्कि यह समुदाय के विकास और एकता में भी योगदान देगा।हरियाणा सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी का यह चुनाव न केवल सिख समुदाय के लिए ऐतिहासिक है, बल्कि यह गुरुद्वारों के प्रबंधन को नए आयाम देने वाला साबित होगा। 4 लाख सिख मतदाताओं की भागीदारी इस प्रक्रिया को और भी खास बनाती है। अब देखना यह है कि 164 उम्मीदवारों में से कौन से 40 उम्मीदवार चुने जाते हैं और यह कमेटी सिख समुदाय के लिए किस तरह काम करती है।