Manu Bhaker पर टूटा दुःखों का पहाड़ ,दादी और मामा की मौ*त
देश की प्रसिद्ध अंतरराष्ट्रीय निशानेबाज खिलाड़ी Manu Bhaker के लिए खुशियों का समय गम के बादल में बदल गया। मेजर ध्यानचंद ‘रत्न’ का सम्मान पाने के दो दिन बाद ही उनके परिवार को भी*षण सड़क हा*दसे का सामना करना पड़ा। इस हादसे में उनकी की दादी और मामा की मौ*त हो गई, जिससे उनके परिवार में शोक की लहर दौड़ गई।
सड़क हा*दसा घटना
यह दिल द*हला देने वाली घटना महेंद्रगढ़ बाईपास रोड पर हुई, जहां एक स्कूटी और ब्रेजा कार की ट*क्कर हो गई। ट*क्कर इतनी भीषण थी कि मनु भाकर की दादी और मामा की मशीन पर ही मौ*त हो गई। हादसे के बाद कार क्षतिग्रस्त हो गई, जिसके चलते पुलिस को बेसमेंट का सामना करना पड़ा। पुलिस ने मृ*तक के श*व को कब्जे में लेकर सिविल अस्पताल भिजवा दिया है। थाना सिटी प्रभारी सहित पुलिस टीम ने जांच शुरू कर दी है और घटना की सभी जानकारियों की पुष्टि की जा रही है।
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Manu Bhaker के लिए दु*ख की घड़ी
इस हा*दसे ने Manu Bhaker और उनके परिवार को गहरे शोक में डाल दिया। अभी दो दिन पहले हीManu Bhaker को राष्ट्रपति से खेल रत्न पुरस्कार मिला था, जो एक बड़ी उपलब्धि थी। लेकिन इस पहली घटना ने उनकी और उनके परिवार की खुशियों को फीका कर दिया। उन्होंने पेरिस ओलंपिक में 10 मीटर एयर कॉम्प्लेक्स और 10 मीटर एयर मिक्स्ड टीम स्टॉक में कांस्य पदक दर्ज किए। वह पेरिस ओलंपिक में एक ही संस्करण में दो पदक जीतने वाली पहली भारतीय एथलीट बनीं। उनके इस प्रदर्शन का भारतीय खेलों के इतिहास में एक खास स्थान है।
पेरिस ओलंपिक में शानदार उपलब्धियां
Manu Bhaker ने पेरिस ओलंपिक 2024 में अपनी शानदार रैंकिंग से दुनिया को प्रभावित किया। उन्होंने महिलाओं की 10 मीटर एयर प्रोटोटाइप में कांस्य पदक जीता। यह पदक 20 साल में किसी व्यक्तिगत ओलंपिक में फाइनल में पहुंचने वाली पहली महिला बनने के बाद मिला। वह 0.1 अंक से रजत पदक से चूक गईं, लेकिन रजत पदक के साथ उन्होंने अपनी क्षमता का परिचय दिया। कुछ दिनों बाद Manu Bhaker ने सरबजोत सिंह के साथ 10 मीटर एयर मिक्स्ड टीम इवेंट में भी कांस्य पदक जीता। यह उनके करियर का दूसरा ओलंपिक पदक था। इसके बाद मनु अपने ऐतिहासिक तीसरे पदक के बेहद करीब पहुंच गई थीं, लेकिन महिलाओं की 25 मीटर स्पर्धा में चौथे स्थान पर आकर वह अपने तीसरे पदक से चूक गईं।
संघर्ष और सफलता: एक प्रेरणादायक यात्रा
Manu Bhaker ने भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बनाई है। पेरिस ओलंपिक में दो पदक जीतकर उन्होंने न सिर्फ अपने हुनर का प्रदर्शन किया है, बल्कि युवाओं को प्रेरित भी किया है। उनके योगदान को देखते हुए भारत की राष्ट्रीय खेल नीति में भी उन्हें अहम स्थान मिलना तय है। Manu Bhaker की नानी और मामा की सड़क दु*र्घटना में हुई मौ*त ने उनके परिवार और उनके साधारण साथियों को गंभीर रूप से परेशान कर दिया है। एक तरफ जहां मनु भाकर अपने खेल कौशल के लिए दुनियाभर में जानी जाती हैं, वहीं दूसरी तरफ इस दुर्घटना ने उनके जीवन में गिरावट ला दी है। हमारी संवेदनाएं मनु और उनके परिवार के साथ हैं।