परपंरागत खेती की बजाए मशरूम की खेती करे किसान,डॉ हरजोत
सोनीपत
महाराणा प्रताप उद्यान विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय मशरूम अनुसंधान केंद्र मुरथल सोनीपत में मशरूम उत्पादन, प्रसंस्करण और विपणन से सम्बधित पांच दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम में हरियाणा के अलावा विभिन्न प्रदेशों से आए 42 प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतिम दिन डॉ. मनीष कुमार ने मंच संचालन किया।
केंद्र निदेशक डॉक्टर अजय सिंह ने कहा कि मशरूम क्षेत्र में रोजगार की अपार संभावनाएं है। उन्होंने कार्यशाला में आए प्रतिभागियों को बताया कि किसान सालभर में मशरूम की खेती किस प्रकार करें ताकि उन्हें मौसम में बदलाव के दौरान मशरूम की खेती करने में कोई परेशानी सामने न आए। निदेशक ने किसानों को मशरूम के प्रस्करण ओर मूल्य संवर्धन की उपयोगिता के बारे में बताया। जिसके बारे में संस्थान में लगातार प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जाते है। प्रतिभागियों को प्रशिक्षण देने का मुख्य मकसद ये है कि प्रतिभागियों को मशरूम की खेती करने व उसके बनने वाले विभिन्न उत्पादों के बारे में जानकारी से अवगत कराया जा सकें। इन सबकी जानकारी होना अति आवश्यक होता है, क्योंकि सही प्रकार से ट्रेनिंग न हो तो ये परेशानी वाला हो सकता है। डॉ अजय सिंह ने प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा करने वाले प्रतिभागियों को सर्टिफिकेट के साथ-साथ मशरूम के बीज भी वितरित किए ताकि प्रतिभागी छोटे स्तर पर मशरूम की खेती कर सकें। डा मनीष कुमार ने प्रतिभागियों से आह्वान किया वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर किसानों को मशरूम की खेती के मुनाफे व उपयोगिता के बारे में बताए ताकि उनका रूझान भी परपंरागत खेती की बजाए मशरूम की खेती की ओर हो। डॉ हरजोत ने बताया कि प्रशिक्षण कार्यक्रम में शिरकत करने वाले प्रतिभागियों के लिए नि:शुल्क रहने व खाने की व्यवस्था संस्थान की ओर से की जाती हैं।