Responsible in Sandeshkhali Case: संदेशखाली की एक फीसदी पीड़िता वाकई शर्मनाक राज्य सरकार 100 फीसदी जिम्मेदार
Responsible in Sandeshkhali Case: कलकत्ता हाई कोर्ट ने गुरुवार को संदेशखाली मामले में बंगाल सरकार के खिलाफ फैसला सुनाया। कोर्ट ने कहा, ”अगर इस मामले में एक फीसदी भी सच्चाई है तो यह शर्मनाक है। इसके लिए पूरा प्रशासन और सत्ताधारी दल नैतिक रूप से शत-प्रतिशत जिम्मेदार है। यह सार्वजनिक सुरक्षा का मामला है।”
5 जनहित याचिकाओं पर सुनवाई
संदेशखाली के मुख्य आरोपी के खिलाफ 5 जनहित याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश टी. एस शिवज्ञानम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने सुनवाई की। पश्चिम बंगाल के संदेशखाली में महिलाओं का यौन शोषण करने और जमीन हड़पने का आरोप और टी. एम. सी निष्कासित नेता शेख शाहजहां को 29 फरवरी को बंगाल पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था। जिसके बाद पुलिस ने उसे पकड़ कर सी. बी. आयी को सौंप दिया गया।
यौन उत्पीड़न की शिकायत की Responsible in Sandeshkhali Case
एक अन्य याचिकाकर्ता की वकील प्रियंका टिबरेवाल ने कहा, “ज्यादातर महिलाएं अशिक्षित हैं। ई-मेल भूल जाओ, वे एक पत्र भी नहीं लिख सकते। हमारे पास 500 से अधिक महिलाएं हैं जिन्होंने यौन उत्पीड़न की शिकायत की है। हमारे पास हलफ़नामे हैं, जिनमें कहा गया है कि केवल एक शाहजहाँ को गिरफ्तार किया गया था। उसके 1000 साथी गाँव में घूम रहे हैं और शाहजहाँ के खिलाफ न बोलने की धमकी दे रहे हैं।
शाहजहाँ और उसके दो साथियों पर सामूहिक बलात्कार का आरोप
संदेशखाली में शेख शाहजहां और उनके दो साथियों शिबू हाजरा और उत्तम सरदार पर आरोप है,लंबे समय तक महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार कर रहे है। इस मामले में पुलिस ने शिबू हाजरा, उत्तम सरदार और शाहजहां समेत 18 लोगों को गिरफ्तार किया है| शाहजहाँ शेख टी. एम.सी जिला स्तर के नेता रहे हैं। राशन घोटाले में ईडी ने 5 जनवरी को उनके घर पर धावा बोल दिया था, जब उनके 200 से ज्यादा समर्थकों ने टीम पर हमला कर दिया था।
ई .डी का आरोप- राज्य सरकार जांच में सहयोग नहीं कर रही Responsible in Sandeshkhali Case
कोर्ट में सुनवाई के दौरान राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वकील किशोर दत्ता ने केंद्रीय जांच एजेंसियों की जांच के तरीके पर सवाल उठाए| दत्ता ने कहा, “अगर अदालत आदेश देती है तो हम पिछले 10 वर्षों में सीबीआई जांच के नतीजों और उन मामलों में अब तक क्या हुआ है, इस संबंध में एक जनहित याचिका दायर कर सकते हैं।” इस मामले में, ई. डी की तरफ से केंद्र सरकार के डिप्टी सॉलिसिटर जनरल धीरज त्रिवेदी ने राज्य सरकार पर असहयोग का आरोप लगाया और पूछा कि ऐसी स्थिति में केंद्रीय एजेंसियां जांच कैसे आगे बढ़ा सकती हैं।
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