Article 370 Verdict: अनुच्छेद 370 क्या था, जाने सरकार ने इसे क्यों हटाया
Article 370 Verdict: आपको बता दें कि 2019 में जम्मू कश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा देने वाला अनुच्छेद-370 खत्म कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के कारण चार साल बाद यह अनुच्छेद फिर चर्चा फिर में आ गया है। इससे पहले कोर्ट में अनुच्छेद-370 हटाने को चुनौती दी गई थी। इससे जुड़ी 20 से ज्यादा याचिकाएं कोर्ट में थीं जिसको लेकर सोमवार को फैसला आया है।
फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा
शीर्ष अदालत ने अगस्त 2019 में जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख को अलग करने के फैसले की वैधता को भी बरकरार रखा। शीर्ष अदालत ने अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर 16 दिनों की सुनवाई के बाद 5 सितंबर को मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया।
जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का निर्देश
पीठ ने चुनाव आयोग को सितंबर 2024 तक जम्मू-कश्मीर में चुनाव कराने का भी निर्देश दिया। अदालत ने अधिकारियों को क्षेत्र में राज्य का दर्जा बहाल करने के लिए त्वरित कदम उठाने का भी आदेश दिया। (Article 370 Verdict)
ये हैं फैसले की मुख्य बातें
- जम्मू और कश्मीर भारत का अभिन्न अंग बन गया जैसा कि अनुच्छेद 1 और 370 में परिलक्षित होता है
- फैसला पढ़ते हुए सीजेआई ने कहा कि याचिकाकर्ताओं का यह तर्क कि केंद्र अनुच्छेद 356 के तहत उद्घोषणा के दौरान कोई निर्णय नहीं ले सकता, स्वीकार्य नहीं है।
- सीजेआई डी वाई चंद्रचूड़ का कहना है कि इस मुद्दे पर पांच जजों की बेंच के तीन फैसले हैं।
- सुप्रीम कोर्ट को जम्मू-कश्मीर में राष्ट्रपति की घोषणा की वैधता पर फैसला देने की जरूरत नहीं है क्योंकि याचिकाकर्ताओं ने इसे चुनौती नहीं दी है।
- भारत में शामिल होने के बाद जम्मू और कश्मीर में संप्रभुता का तत्व बरकरार नहीं रहा
- हम जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख बनाने के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हैं।
- अनुच्छेद 370 जम्मू-कश्मीर को संघ के साथ संवैधानिक रूप से एकीकृत करने के लिए था, विघटन के लिए नहीं और राष्ट्रपति यह घोषणा कर सकते हैं कि अनुच्छेद 370 का अस्तित्व समाप्त हो गया है।
- जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का कभी भी स्थायी निकाय बनने का इरादा नहीं था। जब जम्मू-कश्मीर की संविधान सभा का अस्तित्व समाप्त हो गया, तो जिस
विशेष शर्त के लिए अनुच्छेद 370 लागू किया गया था, उसका भी अस्तित्व समाप्त हो गया। - अनुच्छेद 370 को निरस्त करने के बाद, जम्मू-कश्मीर का संविधान निष्क्रिय हो गया है और इसका कोई उद्देश्य नहीं रह गया है
- सुप्रीम कोर्ट ने चुनाव आयोग को विधान सभा चुनाव कराने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया और आदेश दिया कि राज्य का दर्जा बहाल किया जाना चाहिए
- हम मानते हैं कि राष्ट्रपति द्वारा राज्य की नहीं बल्कि संघ की सहमति की मांग वैध है, भारतीय संविधान के सभी प्रावधान जम्मू-कश्मीर पर लागू हो सकते हैं
- हम जम्मू-कश्मीर से केंद्र शासित प्रदेश लद्दाख बनाने के फैसले की वैधता को बरकरार रखते हैं।
- SC का कहना है कि अनुच्छेद 370 एक अस्थायी प्रावधान था। राज्य में युद्ध की स्थिति के कारण संविधान की धारा 370 अंतरिम व्यवस्था थी
अनुच्छेद-370 हटने के बाद क्या हालात हैं?
2019 में जब अनुच्छेद-370 खत्म किया गया था, तब पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान ने कुछ हद तक स्थिति बिगाड़ने की कोशिश की थी। घुसपैठ के जरिए हिंसा कराने की खूब कोशिश हुई, लेकिन सुरक्षाबलों ने सभी को नाकाम कर दिया गया। केंद्र सरकार ने विशेष तौर पर जम्मू कश्मीर के विकास पर फोकस करना शुरू कर दिया। अब हर बजट में जम्मू कश्मीर के लिए विशेष प्रावधान किए जाते हैं, ताकि यहां के लोगों को मुख्य धारा से जोड़ा जा सके। अनुच्छेद-370 खत्म होने के बाद पहली बार ऐसा हुआ जब जम्मू-कश्मीर संयुक्त राष्ट्र के दागी लिस्ट से बाहर हुआ।
पिछले कुछ समय में राज्य में पर्यटन में भारी बढ़ोतरी देखी गई है। जहां घाटी में दशकों बाद सिनेमा खुलने लगे हैं तो, वहीं पत्थरबाजी की घटनाएं और बंद के आव्हान लगभग शून्य हो चुके हैं। राज्य में निवेश की संभवनाएं लगातार बढ़ रही हैं और हर क्षेत्र में विकास के नए द्वार खुल रहे हैं।
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