
हरियाणा के सोनीपत जिले में प्रशासनिक पुनर्गठन को लेकर नया विवाद शुरू हो गया है। क्षेत्र के लोगों ने गोहाना को नया जिला बनाने और उसमें Kharkhoda को जोड़ने के सरकार के कदम का कड़ा विरोध किया है। शनिवार को भगवान परशुराम पार्क में आयोजित पंचायत में इस कदम के खिलाफ एकजुटता दिखाई दी।
Kharkhoda को गोहाना में शामिल करने पर आपत्ति
Kharkhoda को जिला बनाने के लिए स्थानीय कमेटी के अध्यक्षता मास्टर महेंद्र सिंह और अन्य वक्ताओं ने स्पष्ट रूप से कहा कि उन्हें गोहाना को जिला घोषित करने पर कोई आपत्ति नहीं है। लेकिन खरखौदा को इसमें शामिल करना एक गलती होगी।
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भौगोलिक असुविधाएं:
गोहाना से खरखौदा की दूरी लगभग 40 किलोमीटर है, जबकि सोनीपत की दूरी मात्र 18 किलोमीटर है। ऐसे में गोहाना में जिला मुख्यालय बनाने से आसपास के गांवों के सरकारी कर्मचारियों को सरकारी कार्यों के लिए लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी।
विकास की संभावनाएं:
खरखौदा में औद्योगिक मॉडल टाउनशिप (आईएमटी) पहले से ही स्थापित की जा रही है, जिसकी लागत करीब 18,000 करोड़ रुपये है। यह क्षेत्र औद्योगिकीकरण की दिशा में बहुत तेजी से आगे बढ़ रहा है।
संघर्ष समिति गठित करने की तैयारी
कामरेड हंसराज राणा फिरोजपुर बांगर ने चेतावनी दी कि जब तक सरकार लिखित गारंटी नहीं देती कि खरखौदा को सोनीपत जिले से अलग नहीं किया जाएगा, तब तक संघर्ष जारी रहेगा। पंचायत में संघर्ष समिति के गठन पर भी चर्चा हुई, ताकि सरकार तक इस मांग को प्रभावी ढंग से पहुंचाया जा सके।
विकेश दहिया रोहाना ने इस प्रस्ताव को क्षेत्र के साथ अन्याय बताया और मांग की कि खरखौदा को स्वतंत्र जिला बनाया जाए। उन्होंने गोहाना के कुछ क्षेत्रों को भी खरखौदा जिले में जोड़ने का प्रस्ताव रखा, ताकि प्रशासन की संतुलित व्यवस्था स्थापित हो सके।
भविष्य की रणनीति और अगली बैठक
पंचायत में शामिल रोहतास नेता रोहाना ने स्पष्ट किया कि यह लड़ाई निजी हितों की नहीं, बल्कि भावी पीढ़ी के हितों की रक्षा की है। जब तक सरकार गोहाना का गजट नोटिफिकेशन वापस नहीं ले लेती और खरखौदा को स्वतंत्र जिला बनाने की घोषणा नहीं करती, तब तक आंदोलन जारी रहेगा।
अगली पंचायत 30 मार्च को इसी स्थान पर होगी। इसमें संघर्ष समिति का गठन और आगे की रणनीति तय की जाएगी। स्थानीय नेताओं ने लोगों से इस आंदोलन में बढ़-चढ़कर शामिल होने का अनुरोध किया, ताकि सरकार पर दबाव बनाया जा सके।