
✍️ अश्विनी कुमार : हरियाणा सरकार ने स्कूलों में शिक्षा को पारदर्शी और अभिभावक केंद्रित बनाने की दिशा में कदम बढ़ा दिया है। शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने स्पष्ट किया कि अब राज्य के सभी मान्यता प्राप्त स्कूलों के लिए “हरियाणा स्कूल शिक्षा नियम 2003” को लागू करना अनिवार्य होगा।
स्कूलों में मनमानी पर कसेगा शिकंजा
स्कूल प्रशासन अब छात्रों या उनके अभिभावकों को किसी खास दुकान से किताबें, स्टेशनरी या यूनिफॉर्म खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। यह निर्देश खास तौर पर उन स्कूलों के लिए है जो “अनिवार्य किट” या “प्री-सेट पैकेज” के नाम पर अतिरिक्त बोझ डालते थे। शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने इस संबंध में निर्देश जारी किए हैं।
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यूनिफॉर्म बदलाव पर भी सख्ती
- कोई भी स्कूल पांच साल के भीतर छात्रों की यूनिफॉर्म में बदलाव नहीं कर सकता।
- इस नियम का उद्देश्य अभिभावकों पर बार-बार यूनिफॉर्म बदलवाने का आर्थिक बोझ नहीं डालना है।
- एक ही यूनिफॉर्म कम से कम पांच वर्षों तक मान्य रहेगी, जिससे बार-बार खरीदारी की आवश्यकता नहीं होगी।
- यह निर्णय खास तौर पर मध्यम वर्ग और निम्न आय वर्ग के परिवारों के हित में लिया गया है।
छात्रों को खरीदारी की मिलेगी स्वतंत्रता
🎒 अभिभावक और छात्र अब स्कूल सामग्री किसी भी दुकान से खरीद सकते हैं।
📚 पुस्तकें, अभ्यास पुस्तिकाएं, स्टेशनरी, जूते, मोजे आदि खरीदने के लिए अनुशंसित दुकानों की अनिवार्यता नहीं होगी।
🏷️ इस निर्णय से बाजार में स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा मिलेगा।
💰 मूल्य नियंत्रण और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में यह पहल मददगार साबित होगी।
कहां करें शिकायत?
यदि कोई स्कूल नियमों के विरुद्ध कुछ करता है, तो अभिभावक निम्नलिखित तरीकों से शिकायत भेजने के लिए स्वतंत्र हैं:
ईमेल: dseps13@gmail.com
☎️ फोन: 0172-5049810
⚖️ उल्लंघन के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी
शिक्षा मंत्री ने कहा कि
🚫 हरियाणा विद्यालय शिक्षा अधिनियम 1995 और शिक्षा का अधिकार अधिनियम 2009 का पालन सभी स्कूलों के लिए अनिवार्य है।
🚫 यदि कोई स्कूल प्रशासन इन अधिनियमों का उल्लंघन करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त प्रशासनिक कार्रवाई की जाएगी।
🛡️ सरकार का उद्देश्य पारदर्शिता और छात्रों व अभिभावकों के हितों की रक्षा करना है।
📢 शिक्षा मंत्री ने साफ किया कि नियमों की अनदेखी को किसी भी हालत में बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।
निष्कर्ष:
हरियाणा सरकार का यह कदम शिक्षा प्रणाली को पारदर्शी और न्यायपूर्ण बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण है। इससे न केवल अभिभावकों की आर्थिक स्थिति में सुधार आएगा, बल्कि स्कूलों की मनमानी पर भी अंकुश लगेगा।