रियल एस्टेट उद्योग को बड़ी राहत देते हुए हरियाणा सरकार ने EDC यानी बाहरी विकास शुल्क की लंबित राशि का भुगतान करने के लिए वन टाइम सेटलमेंट स्कीम की समय सीमा 30 सितंबर 2025 तक बढ़ा दी है। इस कदम से राज्य के डिफॉल्टर बिल्डरों को एक बार फिर अपने लंबित प्रोजेक्ट में तेजी लाने का मौका मिलेगा।
EDC क्या है
EDC (बाह्य विकास शुल्क) वह शुल्क है जो डेवलपर को अपने प्रोजेक्ट में और उसके आसपास बुनियादी ढांचे के विकास के लिए स्थानीय सरकार को देना होता है जैसे -सड़क, पानी की आपूर्ति, सीवरेज, स्ट्रीट लाइट, बिजली आदि। यह इसलिए जरूरी है ताकि प्रोजेक्ट महज एक बिल्डिंग बनने के बजाय पूरी तरह विकसित आवासीय या व्यावसायिक परिसर बन जाए।
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क्या मिलेगा लाभ ,
हरियाणा नगर एवं ग्राम नियोजन विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव ए.के. सिंह ने स्पष्ट किया है कि लाइसेंस और भूमि उपयोग परिवर्तन मामलों में बकाया ई.डी.सी. की वसूली के लिए यह कदम उठाया गया है। सरकार चाहती है कि बिल्डर स्वेच्छा से भुगतान करें और रुके हुए प्रोजेक्ट आगे बढ़ें, ताकि आम आदमी को भी लाभ मिले।
क्या सेटेलमेंट प्लान ?
सरकार ने बिल्डरों को ई.डी.सी. जमा करने के लिए दो विकल्प दिए हैं:
पहला विकल्प:
- 100% मूल राशि
- 56% बकाया ब्याज (15 मार्च 2025 तक)
- दंडात्मक ब्याज
- 15 अप्रैल के बाद ब्याज हर माह 1% बढ़ेगा
दूसरा विकल्प:
- 50% मूल राशि
- 81% ब्याज + दंडात्मक ब्याज
- 15 अप्रैल के बाद ब्याज हर माह 1% बढ़ेगा
👉 मकसद: बिल्डर सुविधाजनक विकल्प चुनकर लंबित परियोजनाएं शुरू कर सकें।
फैसले का क्या होगा फायदा ?
डिफॉल्टर बिल्डरों को वित्तीय राहत मिलेगी।
अधूरे प्रोजेक्टों को नया जीवन मिलेगा।
आम खरीदारों को समय पर घर मिलेंगे।
सरकार को राजस्व मिलेगा और शहरों को बेहतर बुनियादी ढांचा मिलेगा।
सरकार और बिल्डरों की जीत, EDC भुगतान में राहत
हरियाणा सरकार का यह फैसला रियल एस्टेट उद्योग को पटरी पर लाने की दिशा में एक मजबूत कदम है। ईडीसी सेटलमेंट की इस सुविधा से डिफॉल्टर बिल्डरों को राहत मिलेगी, वहीं आम लोगों को समय पर घर मिलने की उम्मीद जगेगी।