
गुरुग्राम से एक ऐसी खबर आई है, जिसे लेकर कानून पर सवाल उठ रहे हैं। वर्दी पहनकर नागरिकों की सुरक्षा का जिम्मा संभालने वाले चार पुलिसकर्मी खुद ही पैसे मांगते पाए गए। हैरानी की बात यह है कि ये पुलिसकर्मी एक गरीब परिवार से ताल्लुक रखने वाले चाय-परांठे वाले से हर महीने वसूली करते थे। और वो भी उनकी रिपोर्टिंग करते हुए।
गुरुग्राम में कैसे हुआ खुलासा?
रिपोर्ट के मुताबिक, गुरुग्राम में चाय-परांठे की छोटी सी दुकान चलाने वाले एक शख्स को लंबे समय से हर महीने वसूली के लिए परेशान किया जा रहा था। उसे धमकी दी जा रही थी कि अगर उसने हर महीने वसूली नहीं की, तो उसकी दुकान बंद कर दी जाएगी। यह वसूली एक एएसआई, एक कांस्टेबल, एक ईएचसी और एक एसपीओ की मिलीभगत से की जा रही थी।
आखिरकार, इन सबसे तंग आकर विक्रेता ने सीसीटीवी कैमरा लगाया और सबूत जुटाए। वीडियो में साफ दिख रहा था कि पुलिसकर्मी उससे कैसे पैसे वसूल रहे थे। गुरुग्राम पुलिस के पास जब यह सबूत पहुंचा तो पूरे महकमे में हड़कंप मच गया।
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आरपियों की गिरफ्तारी और हुए सस्पेंड
मामला सामने आते ही गुरुग्राम पुलिस कमिश्नर ने तुरंत कार्रवाई की। चारों पुलिसकर्मियों को गिरफ्तार कर कोर्ट में पेश करने के बाद सलाखों के पीछे डाल दिया गया। उन्हें महकमे से निलंबित भी कर दिया गया है।
पुलिस कमिश्नर ने साफ किया कि अगर वर्दी में कोई भी व्यक्ति कोई गलत काम करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसी स्थिति में जीरो टॉलरेंस की नीति अपनाई जाएगी।
क़ानून पर जताया भरोसा
इस घटना से न सिर्फ पुलिस की छवि खराब हुई है, बल्कि आम लोगों का भरोसा भी टूटा है। जब आम लोग अपने ही रखवालों से डरे हुए हों तो फिर न्याय और सुरक्षा कहां से मिलेगी?
अनोखी बात यह है कि जिस गरीब दुकानदार को चंद सौ रुपये की वसूली के लिए महीने-दर-महीने परेशान किया जाता था, उसने हिम्मत दिखाई और सिस्टम के खिलाफ आवाज उठाई और न्याय की जीत की गारंटी दी।
सबको कानून ने दिए समान अधिकार
इस घटना ने फिर से दिखा दिया है कि कानून से ऊपर कोई नहीं है- न वर्दी और न ही पद। गुरुग्राम पुलिस का यह कदम सराहनीय है, लेकिन साथ ही यह व्यवस्था में बदलाव की जरूरत को भी सामने लाता है।
आने वाले दिनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि इस मामले की जांच कितनी गहराई तक जाती है और क्या ऐसे और मामले सामने आते हैं।