
हरियाणा महिला आयोग ने हरियाणा के एक वरिष्ठ प्रशासक के खिलाफ बड़ा कदम उठाया है। चूंकि आरोपी कोई सामान्य व्यक्ति नहीं, बल्कि हरियाणा सिविल सेवा (एचसीएस) अधिकारी है और उसकी पत्नी भी राज्य सरकार में अधिकारी के तौर पर कार्यरत है। इसलिए यह मामला काफी गंभीर है।
क्या है पूरा मामला ?
एचसीएस अधिकारी की पत्नी करीब तीन महीने पहले महिला आयोग आई थी। उसने अपने पति पर मानसिक शोषण, घरेलू हिंसा और यौन उत्पीड़न जैसे गंभीर आरोप लगाए थे। उसने बताया था कि उसने अपने घर में अक्सर होने वाले शोषण के लिए शिकायत दर्ज कराई है ।
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हरियाणा महिला आयोग ने क्यों लिया एक्शन ?
हरियाणा महिला आयोग ने आरोपी अधिकारी को तीन बार नोटिस भेजकर आयोग के समक्ष पेश होने को कहा, लेकिन हर बार अधिकारी अलग-अलग कारणों से नहीं आया। कभी उसने चुनाव ड्यूटी का हवाला दिया तो कभी उसने अलग-अलग सरकारी नौकरी से जुड़े कारण बताए। आयोग की अध्यक्ष ने साफ कहा।
“जब अधिकारी नहीं आए, तो हमें कई बार समन भेजने के बावजूद एफआईआर और विभागीय अनुशासन लागू करने का सुझाव देना पड़ा।”
एफआईआर के अलावा होगी विभागीय कार्वाही की सिफ़ारिश
महिला आयोग ने न केवल एफआईआर का सुझाव दिया है, बल्कि हरियाणा सरकार के उच्च अधिकारियों को पत्र लिखकर एचसीएस के खिलाफ सख्त विभागीय अनुशासनात्मक कार्रवाई करने की अनुशंस सिफ़ारिश भी की है।
क्या कहता है कानून और व्यवस्था?
एक बार फिर, यह मामला इस सवाल को उठाता है कि अगर अधिकारी-जो खुद व्यवस्था का हिस्सा हैं- जांच से बचने की कोशिश करेंगे, तो आम लोगों को न्याय कैसे मिलेगा। महिला आयोग का जवाब ऐसे हर मामले में कानूनी मिसाल कायम कर सकता है।
फिर आगे ?
अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि एफआईआर के बाद पुलिस जांच किस तरह आगे बढ़ती है और क्या आरोपी अधिकारी के खिलाफ कोई विभागीय कार्रवाई की जाती है। यह उदाहरण इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि यह व्यवस्था के अंदर जवाबदेही के साथ-साथ महिला सशक्तिकरण को भी छूता है।
—निष्कर्ष:
हरियाणा महिला आयोग का साहसी निर्णय न्याय प्रदान करने और महिलाओं की सुरक्षा की गारंटी देने की दिशा में एक शक्तिशाली संदेश देता है। यह कदम यह स्पष्ट करता है कि चाहे कोई भी आरोपी हो, कोई भी कानून और व्यवस्था से ऊपर नहीं है।
आपकी राय? क्या इन मामलों में और अधिक कठोर कदम उठाए जाने चाहिए? कृपया टिप्पणियों में मुझे अपना दृष्टिकोण बताएं।