
चंडीगढ़। सांसद कुमारी शैलजा ने हरियाणा के सरकारी स्कूलों की व्यवस्था पर सवाल उठाए है। सैलजा बोली , हरियाणा में इस समय शिक्षा क्षेत्र बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। राज्य में सरकारी स्कूल खाली पड़े हैं, भले ही नई शिक्षा नीति के बारे में बहुत प्रचार हो रहा हो। हरियाणा में 37 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें कोई भी छात्र नहीं है। 274 संस्थानों में 10 से कम छात्र हैं।
सरकारी स्कूलों की अनदेखी, निजी स्कूलों की मदद
सरकारी स्कूलों की दयनीय हालातों पर कुमारी शैलजा ने कहा , सरकार निजी स्कूलों के लिए रास्ता साफ करने के लिए जानबूझकर government schools की अनदेखी कर रही है। सरकारी स्कूल ग्रामीण और गरीब बच्चों के लिए एकमात्र उम्मीद हैं, लेकिन जब शौचालय या पानी नहीं है, किताबें नहीं हैं, शिक्षक नहीं हैं तो बच्चे वहां कैसे पढ़ सकते हैं? उन्होंने कहा , “क्या शिक्षा के बिना राष्ट्र आगे बढ़ सकता है? सरकार 15,000 से अधिक अप्रयुक्त शिक्षक पदों को कब खोजेगी?”
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शिक्षा मंत्री के वायदे हवा हवाई
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शिक्षा मंत्री महिपाल ढांडा ने कहा था कि 1 अप्रैल से हर स्कूल में पर्याप्त शिक्षक होंगे, लेकिन यह केवल बयान साबित हुआ।
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हजारों स्कूलों में अभी भी कोई शिक्षक नहीं हैं।
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कुमारी शैलजा के शब्द तर्कसंगत लगते हैं: “अगर शिक्षक नहीं होंगे, तो बच्चों का भविष्य कौन तय करेगा?”
गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूलों पर चुप्पी
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गैर-मान्यता प्राप्त निजी स्कूल बच्चों के अधिकारों को सुनिश्चित नहीं कर सकते और सरकार के नियंत्रण में नहीं हैं।
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ये स्कूल गवर्नमेंट स्कूलों की दुर्दशा का फायदा उठाकर तेजी से बढ़ रहे हैं।
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सरकार इन अनियमित स्कूलों को रोकने के बजाय उन्हें बढ़ने देती है।
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इस तरह की स्थिति सामाजिक असमानता बढ़ाती है और शिक्षा का स्तर गिराता है।
क्या हम वाकई ‘विश्व गुरु’ बनने की राह पर हैं?
कुमारी शैलजा ने व्यंग्यात्मक टिप्पणी की कि “जब सरकार खुद दावा करती है कि हम देश को विश्व गुरु बनाएंगे, तो सबसे पहले स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार जरूरी है।” लेकिन हकीकत में, हम इन दो सबसे महत्वपूर्ण क्षेत्रों में हमेशा पिछड़ रहे हैं।” इसके अलावा उन्होंने कहा कि प्रतिभाशाली बच्चों को वह माहौल नहीं मिल पाता जिसकी उन्हें जरूरत होती है, इसलिए “प्रतिभा पलायन होता है।