
अश्वनी कुमार | 10 अप्रैल : एचकेआरएन के करोड़ों कर्मचारियों के सामने रोजगार छिनने का खतरा मंडरा रहा है। जिन युवाओं ने मेहनत, काबिलियत और विश्वास के दम पर खुद को स्थापित किया था, वे अब असुरक्षा की स्थिति में हैं।
यह मुद्दा पूर्व केंद्रीय मंत्री, कांग्रेस की राष्ट्रीय महासचिव और सिरसा से सांसद कुमारी शैलजा ने उठाया। उन्होंने साफ कर दिया है कि HKRN कर्मचारियों को नौकरी से निकालने की बजाय सरकार उन्हें स्थायी करे, ताकि उन्हें अपने भविष्य की चिंता न करनी पड़े।
एचकेआरएन कर्मचारियों को दिया था नौकरी गारंटी विधेयक
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19 नवंबर 2024 को हरियाणा सरकार ने एचकेआरएन कर्मचारियों के लिए नौकरी गारंटी विधेयक को मंजूरी दी थी।
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इसे ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा गया था कि 1.20 लाख युवाओं का भविष्य सुरक्षित होगा।
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अब सरकार उन्हीं कर्मचारियों को नौकरी से बाहर कर रही है।
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कुमारी शैलजा ने इसे वादाखिलाफी बताया है।
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उनका कहना है कि नई भर्तियों की जरूरत हो तो मौजूदा कर्मचारियों को ही प्राथमिकता दी जाए।
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कई कर्मचारी रिटायरमेंट की उम्र पार कर चुके हैं – अगर निकाले गए तो उनके पास कोई विकल्प नहीं रहेगा।
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न्याय की उम्मीद, लेकिन अनदेखी
शैलजा ने कहा कि राज्य में लाखों पद खाली हैं, लेकिन सरकार उन पदों को भरने की बजाय कम वेतन पर अस्थायी कर्मचारियों को रख रही है। कर्मचारियों को योग्यता के आधार पर रखा गया था, लेकिन उन्हें बीच-बीच में बदलने की नीति अपनाई जा रही है। इससे न केवल कर्मचारियों की आर्थिक स्थिति प्रभावित हो रही है, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों की शिक्षा, इलाज और रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो रही है।
सामाजिक संतुलन पर भी गहरा असर
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28% कर्मचारी अनुसूचित जाति और 32% पिछड़े वर्ग से हैं, जिनका रोजगार छिनने से सामाजिक और आर्थिक विषमता बढ़ेगी।
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सांसद शैलजा ने कहा कि सरकार को संवेदनशील प्रतिक्रिया दिखानी चाहिए।
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कुछ कर्मचारी पहले एनएचएम के तहत काम कर रहे थे, जिन्हें बाद में एचकेआरएन में स्थानांतरित किया गया।
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इन कर्मचारियों का रोजगार जोड़ा जाना चाहिए, न कि घटाया जाना चाहिए।
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सरकार को रोजगार प्रदान करने का प्रयास करना चाहिए, न कि रोजगार छीनना चाहिए।
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युवाओं को स्थिरता प्रदान करना ही सच्चे विकास की आधारशिला है।
निष्कर्ष:
सरकार के वादों को कागजों पर ही नहीं बल्कि जमीनी स्तर पर भी पूरा किया जाना चाहिए। एचकेआरएन कर्मचारियों का काम न केवल उनका व्यवसाय है, बल्कि उनके परिवार के सदस्यों की आजीविका भी है। सरकार को कर्मचारियों का भविष्य सुनिश्चित करना चाहिए और उसे खतरे में नहीं डालना चाहिए।